नमस्कार मित्रो कैसे है आप आशा करते है कि आप सभी बहुत अच्छे होंगे। मित्रो अगर आप भी दुर्लभ तरीके के पशु पक्षी देखने के शौक़ीन है तो अब जल्द ही आपकी ये इच्छा पूरी होने वाली है क्युकी बरेली के सीबीगंज में चिड़ियेघर बनाने की कवायद तेज़ हो गयी है। अब हमारे बरेली शहर के लोगो को चिडयाघर देखने के लिए दिल्ली, लखनऊ, या फिर नैनीताल की दौड़ नहीं लगनी होगी। तो चलिये जयादा देर नहीं करते है और आगे बताते है इस चिडयाघर के बारे में।
दरशल वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार शहर को एक बड़े मनोरंजन साधन की सुविधा देने के प्रयास में लगे हैं। बरेली के सीबीगंज में मिनी चिडयाघर बनाने की तैयारी तेज़ हो गयी है। जिसके प्रस्ताव पर सहमति बन गई है। यहां दुर्लभ पशु पक्षी नजर आएंगे।
चिड़ियाघर के अंदर तैयार किया जायेगा लैपर्ड जोन?
जानकरी के मुताबिक सीबीगंज में बन विभाग
की करीब 70 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है। जिसमे 48 हेक्टेयर रोड से इस साइड में वन अधिकारियों के आवास और अनुसंधान केंद्र की ओर स्थित है। और उस 48 में से 12 हेक्टेयर में जू बनाने का सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस मिनी मिनी जू(चिडयाघर) के निर्माण की अभी अनुमानित लागत करीब 126 से 130 करोड़ के आसपास आएगी।
वही इस सीबीगंज स्थित वन विभाग की भूमि की जमीन सर्वे के बाद इसके प्रस्ताव पर भी मुहर लग गयी है । जिसको प्रदेश सरकार शासन को भेजा जाएगा। और जिसके बाद उम्मीद यही है कि इसका निर्माण कार्य जुलाई के बाद ही शुरु होगा।
टाइगर रिजर्व पार्क, दुधवा नेशनल पार्क व जिम कार्बेट पार्क से लाएंगे हिरन?
वन अधिकारियों के अनुसार इस मिनी चिड़ियाघर में डियर पार्क रखा जाएगा। जिसमे करीब 250 से 350 हिरन रखे जायेंगे। यह हिरन टाइगर रिजर्व, दुधवा और जिम कार्बेट पार्क से लाएंगे। वही लैपर्ड के लिए तैयार किये जाने वाले मिनी जू के लैपर्ड जोन में रखा जा सकता है। वही इस चिडयाघर में अनेको प्रकार की चिड़ियों को रखा जाएगा। जिसके लिए एक कमेटी का गठन किया जायेगा। साथ ही यहाँ एक सर्प का बाड़ा होगा, जिसमें अजगर, कोबरा, ब्लैक माम्बा जैसे सर्प रखे जायेंगे और इन जैसे विभिन्न प्रजातियों के सांप होंगे।
126-130 करोड़ की आएगी अनुमानित लागत?
पेड़ों को काटने की जगह कराए ट्रांसलोकेट?
वही शहर के वन मंत्री डॉक्टर अरुण कुमार ने कहा कि कोशिश की जाए कि वृक्षों को कटा न किया जाये। किसी विकास कार्य के लिए वृक्षों को हटाये जाने की आवश्यकता हो तो वृक्षों को ट्रांसलोकेट किया जाए एवं वृक्ष को हटाये जाने वाले स्थान के समीप पीछे ही वृक्ष को ट्रांसलोकेट किया जाये। बैठक में उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से वन विभाग द्वारा पूर्व में किये गये वृक्षों के ट्रांसलोकेशन के बारे में जानकारी ली। उन्होंने 22 मई को जैव-विविधता दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित कराने के भी निर्देश दिए।
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